Thursday, March 24, 2022

गर्भधारण कैसे होता है ?

प्राकृतिक रूप से गर्भधारण महिला की माहवारी के बाद 10वें दिन से लेकर 14 दिन के बीच ओवरी से अंडाणु निकल कर बाहर आते है और इस दौरान अगर महिला और पुरुष में संबंध बनने के बाद शुकाणु यहां अंडाणु (fallopian tube) से मिलते हैं तब भ्रूण बनता है और यह भ्रूण 5-6 दिनों में गर्भ में पहुंचकर आने वाले महीने या 37 हफ्तों की अपना विकास और प्रगति तय करता है।

अगर किसी भी कारणवश जैसे आंतरिक शारीरिक बनावट(Anatomy). या आंतरिक शारीरिक क्रियाविधि(Physiology) या फिर हारमोंस, वंशानुगत (Genetics) अंडाणु शुक्राणु के मिलने में गतिरोध या अवरोध हो, तब समस्या गहन हो जाती है और तब गर्भधारण एक चुनौती बन जाता है।

ऐसे में IVF या टेस्ट ट्यूब बेबी एक उम्मीद की किरण के रूप में सामने आता है जो हमें इस बांझपन या संतानहीनता के अभिशाप से मुक्त कर सकता है।

प्राकृतिक निषेचन को ही नकल (Mimic) किया जाता है इसमें दोनों ही पुरुष व स्त्री की बराबर भागीदारी चाहिए होती है। इसमें महिला की माहवारी के दूसरे या तीसरे दिन से हार्मोनल इंजेक्शन देना शुरू किए जाते हैं जो आने वाले 10 से 12 दिन तक लगातार एक ही समय में लगते हैं। यह अंडाणु की संख्या व गुणवत्ता को बढ़ाने का काम करते हैं और अच्छे अंडों (Oocyte) को विकसित करने में सहायता भी होते हैं जो कि आगे चलकर एक सफल व सुरक्षित गर्भधारण में सहयोगी होता है।

अंडों की संख्या व गुणवत्ता निश्चित होने पर अंडों को निकालने से 36 घंटे पूर्व एक इंजेक्शन एचसीजी (HCG trigger) लगाया जाता है जिससे सारे परिपक्व अंडे ओवरी से बाहर आने पर पूर्ण रूप से विकसित हो जाते हैं उसके बाद हल्की बेहोशी (Anesthesia) में नियत समय में इन सभी अंडों को बाहर निकाला (OPU) जाता है।

जो कि IVF Lab और OT में होता है इसी दौरान पुरुष साथी से स्पर्म को कलेक्ट करके तैयार किया जाता है जिसमें से स्वस्थ व कुशल स्पर्म को IVF या ICSI के उपयोग में लाया जाता है ।जब अंडाणु और शुक्राणु पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं तब इन्हें या तो IVF या ICSI करके भ्रूण (Embryo) बनाया जाता है और इस भ्रूण को विकसित करने के लिए समुचित वातावरण और पोषण प्रदान किया जाता है। भ्रूण के विकास 5 से 6 दिनों में परिपक्व भ्रूण के रूप में हो जाने पर उसे महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित (ET) कर दिया जाता है जो कि अपने आगे जाकर गर्भ धारण करता है। IVF में अंडों और भूण की संख्या प्राकृतिक रूप से हुए ओवुलेशन से अधिक ही होती है जो कि IVF के सक्सेस रेट को बढ़ाता है और उचित भ्रूण के सलेक्शन में मदद करता है।

IVF सेंटर या टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर पूरी तरह गवर्नमेंट और हेल्थ मिनिस्ट्री की ART गाईडलाईन पर कार्य करता है और पूरी तरह से उचित कार्य को करते हैं। IVF सेंटर में भी त्रुटि होने की संभावना नहीं होती क्योंकि उसकी कार्यप्रणाली SOP(standard operating process) पर निर्धारित होती है और वह डॉक्टर और IVF टीम का कार्य पूरी तरह से सुपरवाइज़ होता है। IVF ट्रीटमेंट और सलाह व सुझाव हेतु उपलब्ध हर व्यक्ति की गोपनीयता को विशेष ध्यान रखा जाता है इसे कभी भी कोई व्यक्ति या संस्था के साथ कभी भी साझा नहीं किया जाता है।

IVF से बने अतिरिक्त भ्रूण पर आपका पूरा कानूनी अधिकार होता है और आप अपनी स्वेच्छा से इसके उपयोग करने और न करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। IVF के इलाज में आपका सहयोग और अनुपालन IVF की जटिलता को 30 से 40% तक कम कर देता है और इसके सफल होने की संभावना को दुगना कर देता है।

IVF का इलाज और दवाईयां औसत दर से थोड़ा महंगा होने का एक कारण यह भी है कि शारीरिक तत्वों को लैब में बनाना उपयोग करना और उसकी गुणवत्ता और कार्यक्षमता को प्रभावित करता है IVF से पैदा हुए बच्चे पूर्णतया स्वस्थ व सामान्य होते हैं इसमें भी सामान्य गर्भावस्था की तरह अल्ट्रासोनोग्राफी की समय-समय पर जांच करवाना होता है IVF में भी डिलीवरी और शिशु जन्म दर सामान्य ही होती है।

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